प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में कैबिनेट ने वायुमंडल, महासागर, मौसम और पृथ्वी का अध्ययन करने के लिए पृथ्वी विज्ञान योजना को मंजूरी दे दी है। इस योजना के लिए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कैबिनेट बैठक में 4,797 करोड़ रुपये का बजट तैयार किया है। यह योजना प्राकृतिक आपदाओं की भविष्यवाणी और प्रबंधन में भारत की क्षमताओं को मजबूत करेगी जिससे जीवन और संपत्ति की सुरक्षा होगी। इस योजना से जुड़ी सारी जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारे इस लेख को अंत तक पढ़े।
PRITHVI (Prithvi Vigyan) योजना क्या है?
पृथ्वी विज्ञान योजना 2024 को पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा शुरू किया गया है। पृथ्वी योजना पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा वायुमंडल, महासागर, मौसम की भविष्यवाणी और पृथ्वी का अध्ययन करने के लिए शुरू की गई है। इस योजना का बजट 4,797 करोड़ रुपये तय किया गया है। 4,797 करोड़ रुपये के महत्वपूर्ण बजट के साथ, यह योजना 2021-26 तक चलेगा, जो भारत में पृथ्वी विज्ञान के अध्ययन और समझ में एक नए युग का प्रतीक है।
PRITHVI योजना का उद्देश्य
पृथ्वी विज्ञान योजना का मुख्य उद्देश्य पृथ्वी प्रणाली परिवर्तन के महत्वपूर्ण संकेतो को रिकॉर्ड करने के लिए वायुमंडल, महासागर, भूमंडल और ठोस पृथ्वी के दीर्घकालिक अवलोकनों को बढ़ाना और बनाए रखना है। इसके अलावा मौसम को समझने और भविष्यवाणी करने के लिए मॉडलिंग सिस्टम में विकास लाना है। इस योजना के उद्देश्य में शामिल है:
- दीर्घकालिक अवलोकन: आवश्यक परिवर्तनों को ट्रैक करने और रिकॉर्ड करने के लिए पृथ्वी के वायुमंडल, महासागरों, भूमंडल, क्रायोस्फीयर और ठोस पृथ्वी की निरंतर निगरानी को मजबूत करना।
- मॉडल विकास: मौसम, समुद्री और जलवायु संबंधी खतरों के बेहतर पूर्वानुमान के लिए उन्नत मॉडल बनाना और जलवायु परिवर्तन की समझ को गहरा करना।
- ध्रुवीय और महासागरीय अन्वेषण: नई घटनाओं और संसाधनों की खोज के लिए अज्ञात ध्रुवीय क्षेत्रों और गहरे समुद्रों में उद्यम करना।
- प्रौद्योगिकी उन्नति: समुद्री संसाधनों के सतत दोहन के लिए प्रौद्योगिकियों का आविष्कार करना, जिससे समाज को लाभ हो।
- ज्ञान परिवर्तन: वैज्ञानिक अंतर्दृष्टि को सामाजिक, पर्यावरणीय और आर्थिक लाभों के लिए व्यावहारिक सेवाओं में परिवर्तित करना।
PRITHVI योजना के अहम पहलू
पृथ्वी विज्ञान योजना के पांच अहम पहलू निम्नलिखित है :
- पोलर साइंस एंड क्रायोस्फीयर रिसर्च (PACER)
- सीस्मोलॉजी और जियोसाइंस (SAGE)
- रिसर्च, एजुकेशन, ट्रेंनिंग एंड आउटरिच (REACHOUT)
- एटमॉस्फेयर एंड क्लाइमेट रिसर्च मॉडलिंग ऑबजर्विंग सिस्टम (ACROSS)
- ओशियन सर्विसेज, मॉडलिंग एप्लीकेशन, रिसोर्स एंड टेक्नोलॉजी (O-SMART)
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की भूमिका
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की इस योजना की शुरुआत मे एक महत्वपूर्ण भूमिका है, जो वैज्ञानिक ज्ञान को समाज के लिए मूल्यवान सेवाओं में परिवर्तित करता है। इन सेवाओं में शामिल हैं:
- मौसम के पूर्वानुमान और चेतावनियाँ।
- चक्रवात, बाढ़ और सुनामी जैसी प्राकृतिक आपदाओं के लिए अलर्ट।
- भूकंप की निगरानी और अन्य।
इस संबंध में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय का काम प्राकृतिक आपदाओं के दौरान जान बचाने और संपत्ति की क्षति को कम करने में सहायक रहा है।
मंत्रालय की सहायता करने वाले संस्थान
इस योजना में मदद कर रहे 10 संस्थान के नाम निम्नलिखित है :
- भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD)
- राष्ट्रीय तटीय अनुसंधान केंद्र (NCCR)
- राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (NCS)
- राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान (NIOT)
- राष्ट्रीय पृथ्वी विज्ञान अध्ययन केंद्र (NCESS)
- राष्ट्रीय ध्रुव और महासागर अनुसंधान केंद्र (NCPOR)
- भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र (INCOIS)
- राष्ट्रीय मध्यम अवधि मौसम पूर्व अनुमान केंद्र (NCMRWF)
- समुद्री जीवन संसाधन और परिस्थिति की केंद्र (CMLRE)
- भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (IITM)
PRITHVI योजना से जुड़े प्रश्न (FAQS)
1. पृथ्वी विज्ञान योजना क्या है?
पृथ्वी विज्ञान योजना के माध्यम से मौसम को समझने और चुनौतियों का समाधान करने के लिए जीवित और निर्जीवित संसाधनों का पता लगाया जाएगा। और देश को सभी प्रकार की आपदाओं से पहले चेतावनी देनी होगी।
2. Prithvi Vigyan Yojana के लिए कितने रुपए का बजट तय किया गया है?
Prithvi Vigyan Yojana के लिए 4,797 करोड़ रुपए का बजट तय किया गया है।